श्रद्धा भक्ति से मिलता है मोक्ष

 श्रद्धा भक्ति से मिलता है मोक्ष 


महराजगंज(जौनपुर)



क्षेत्र के केवटली में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान काशी की धरती से पधारे कथा व्यास श्री नीरजानंद शास्त्री ने कहा कि भाव भक्ति से ही प्रभू प्रसन्न होते हैं।जिस व्यक्ति के ह्रदय में नारायण के प्रति भक्ति भाव जागृत हो जाता है तो भगवान स्वयं ही उसके भक्त हो जाते है। भरी सभा में जब दुर्योधन द्वारा चीरहरण किया जा रहा था तो द्रोपदी ने लाज बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण को पुकारा। भगवान के प्रति भाव भक्ति तथा अनुराग का प्रतिफल रहा कि द्रोपदी की लाज बचाने के लिए कृष्ण नंगें पांव दौड़े चले आए। द्रोपदी को चीर हरण से बचाना प्रभू की लीला थी। भगवान अजन्मा है।भक्त की रक्षा के लिए सारे नियमों को तोड़ कर भगवान श्री कृष्ण ने उत्तरा के पेट में प्रवेश किया। गर्भ में पल रहे गर्भ को धारण कर उसे सुरक्षा प्रदान किया। बहन सुभद्रा से भगवान ने कुछ मांगने को कहा तो उन्होंने उनसे चरण वंदना मांगी। वहीं कुंती ने दु:ख इस लिए मांगा था कि भगवान का वियोग न झेलना पड़े। पिता धर्म, माता श्रद्धा, पुत्र विवेक, पत्नी शांति, पुत्री सुमति के प्रतीक हैं। ऐसा घर मंगल कारी होता हैै और ऐसे घरों में भगवान का निवास होता है।इस दौरान आयोजक श्रीराम रक्षा दुबे, संतोष दूबे,भोला प्रसाद सेठ, द्वारिका प्रसाद दुबे,रमाकांत यादव, उमाकांत शर्मा, विपिन दूबे, शुभम पाण्डेय आदि सैकड़ों श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण किया।

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