कबीर दास ने दिया मानव जीवन को एक नई दिशा
*कबीर की एक एक वाणी से बहती थी संवैधानिक मूल्यों की धारा*
विकास खंड महाराजगंज के ग्राम लमहन में श्रद्धेय रवींद्र कुमार गौतम उर्फ पप्पू जी के दरवाजे पर *संत कबीर दास जी की जयंती का आयोजन कबीर भक्त श्रद्धेय जयराम भगत जी की अध्यक्षता में किया गया* जिसमे बुद्धिस्ट इंडिया ट्रस्ट श्रद्धेय शेरबहादुर गौतम ने बताया की आज से हजारों वर्ष पूर्व इस देश में जब छुआछूत भेदभाव , उत्पीड़न अपनी चरम सीमा पर था तब कबीर दास जी अपनी अपने विचारो / दोहो तथा रचनाओं से समता, स्वतंत्रता , न्याय और बंधुता बढ़ाने का आंदोलन छेड़ा था जिसे हमारे संविधान निर्माताओं ने उसमे कानूनी जामा पहनाने का काम किया , संत कबीरदास जी ने कहा था की *कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सबकी खैर ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर* बुरा जो देखन मैं चला बुरा ना मिलया कोय ज्यों ढूढा मन आपनो तो हमसे बुरा ना कोय *लोगो में बंधुता प्रेम बढाने के लिए उन्होंने कहा था की प्यार पेड़ो या खेतो में नही उगता या फिर बाजारों में नही मिलता , प्यार पाने के लिए झुकना होता है और प्यार पाने के लिए बिना शर्त प्यार देना आना चाहिए*
कबीर दास जी के तमाम विचारो को संवैधानिक मूल्यों से जोड़ते हुए उपस्थित समस्त सैकड़ों महिलाओं पुरुषो और बच्चो में कबीर के प्यार से पोषित , बाबा साहब द्वारा निर्मित भारतीय संविधान की उद्देशिका वितरित की गई तथा संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने हेतु लोगो को संविधान की उद्देशिका का शपथ दिलाया गया ।
उक्त कार्यक्रम में मास्टर रमेश कुमार जी, मास्टर विनोद, मास्टर राजेश जी , बड़ेबाबु रविंद्र जी आदि लोगो ने अपने अपने विचार रखे तथा विनय कुमार , जैकी बंसराज ,सुरेश , गौतम , सालिकराम , विद्या गौतम , सोनी , उर्मिला आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे कार्यक्रम की शुरुआत कबीर साहब जी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर कबीर साहब के भजन से किया गया । संचालन विनय कुमार तथा आभार रविन्द्र उर्फ पप्पू बड़ेबाबू जी ने किया।

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