कथा श्रवण व अनुसरण से नष्ट होते हैं पाप व कुविचार
कथा श्रवण एवं अनुसरण से नष्ट होते हैं पाप व कुविचार
तेजी बाजार(जौनपुर)
वरचौली में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए वृंदावन से पधारे आचार्य धनंजय जी महाराज ने कहा कथा श्रवण,मनन, चिंतन एवं उसका अनुसरण से कुविचार एवं पाप नष्ट होते हैं।
भगवत कथा सुनने के साथ उसका मनन चिंतन करने के साथ हमें उस कथा का अनुसरण भी करना चाहिए। तभी हमें उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल लीलाओं के माध्यम से हमें बच्चों को अच्छे संस्कार देने की प्रेरणा दिया है।बच्चों को अच्छे संस्कार देकर देश के लिए आदर्श नागरिक तैयार किए जा सकते हैं।जिससे भविष्य में हिंसा,अश्लीलता,व्यसन,भ्रष्टाचार जैसी बुराई या स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी।रावण जैसा विद्वान जब धर्म का अनुसरण छोड़ दिया तो उसका संपूर्ण विनाश हो गया।वीर अभिमन्यु को कथा श्रवण से ही स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।महाभारत के बाद पांडव भी कथा पान के द्वारा ही समस्त पापों से मुक्त हुए थे।
इस दौरान आयोजक आनंद तिवारी जनार्दन सिंह, स्वतंत्र कुमार शुक्ला समेत अनेको ग्रामीण श्रोता मौजूद रहे।

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